हर साल 8 मार्च को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day 2025) मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाने लैंगिक समानता की वकालत करने और समाज में महिलाओं की भूमिका को सम्मान देने के लिए समर्पित है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन की शुरुआत कैसे हुई? आइए इसके इतिहास और महत्व को समझते हैं।

1910 में क्लारा ज़ेटकिन नाम की एक महिला ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बुनियाद रखी थी ।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस या महिला दिवस, कामगारों के आंदोलन से निकला था, जिसे बाद में संयुक्त राष्ट्र ने भी सालाना जश्न के तौर पर मान्यता दी ।
इस दिन को ख़ास बनाने की शुरुआत आज से 115 बरस पहले यानी 1908 में तब हुई, जब क़रीब पंद्रह हज़ार महिलाओं ने अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में एक परेड निकाली ।
उनकी मांग थी कि महिलाओं के काम के घंटे कम हों । तनख़्वाह अच्छी मिले और महिलाओं को वोट डालने का हक़ भी मिले ।

एक साल बाद अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने पहला राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का एलान किया. इसे अंतरराष्ट्रीय बनाने का ख़याल सबसे पहले क्लारा ज़ेटकिन के ज़ेहन में ही आया था।


क्लारा एक वामपंथी कार्यकर्ता थीं. वो महिलाओं के हक़ के लिए आवाज़ उठाती थीं ।
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव, 1910 में डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन में कामकाजी महिलाओं के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दिया था ।
उस सम्मेलन में 17 देशों से आई 100 महिलाएं शामिल थीं और वो एकमत से क्लारा के इस सुझाव पर सहमत हो गईं ।

पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में मनाया गया. इसका शताब्दी समारोह 2011 में मनाया गया ।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को औपचारिक मान्यता 1975 में उस वक़्त मिली, जब संयुक्त राष्ट्र ने भी ये जश्न मनाना शुरू कर दिया ।
संयुक्त राष्ट्र ने इसके लिए पहली थीम 1996 में चुनी थी, जिसका नाम ‘गुज़रे हुए वक़्त का जश्न और भविष्य की योजना बनाना’ था ।
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, समाज में, सियासत में, और आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं की तरक़्क़ी का जश्न मनाने का दिन बन चुका है ।
जबकि इसके पीछे की सियासत की जो जड़ें हैं, उनका मतलब ये है कि हड़तालें और विरोध प्रदर्शन आयोजित करके औरतों और मर्दों के बीच उस असमानता के प्रति जागरूकता फैलाना है, जो आज भी बनी हुई है ।

क्या आप जानते हैं कि यह दिन नारी सशक्तिकरण, समानता और अधिकारों की लंबी लड़ाई का परिणाम है? आइए, इस आर्टिकल में हम आपको महिला दिवस के इतिहास, इसके महत्व (March 8 Women’s Day Significance) और इस साल की थीम के बारे में बताते हैं।

रूस में 1917 की क्रांति के दौरान महिलाओं ने बड़ी संख्या में प्रदर्शन किया। उन्होंने युद्ध के खिलाफ आवाज उठाई और बेहतर अधिकारों की मांग की। महिलाओं के इस आंदोलन ने वहां की सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया, और उन्हें वोटिंग का अधिकार मिला। यह प्रदर्शन 8 मार्च को हुआ था, इसलिए इस तारीख को महिला दिवस के रूप में चुना गया।
बाद में, संयुक्त राष्ट्र (UN) ने 1977 में आधिकारिक रूप से 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस घोषित कर दिया। तब से लेकर अब तक, यह दिन महिलाओं के सम्मान और उनके हक की लड़ाई का प्रतीक बन चुका है।

आज भले ही महिलाएं पुरुषों के बराबर अधिकार पाने की दिशा में आगे बढ़ चुकी हैं, लेकिन अभी भी समाज में लैंगिक असमानता (Gender Inequality), घरेलू हिंसा, वेतन में भेदभाव और महिला शिक्षा जैसे कई मुद्दे मौजूद हैं। ऐसे में यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमें महिलाओं के लिए एक समान, सुरक्षित और सशक्त समाज बनाने के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे।

नारी शक्ति को सलाम!


आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं – चाहे वह राजनीति हो, विज्ञान हो, खेल हो या फिर कला और व्यापार।

1.कल्पना चावला ने अंतरिक्ष में उड़ान भरकर भारत का सिर ऊंचा किया।

2.मैरी कॉम ने बॉक्सिंग में विश्व विजेता बनकर नारी शक्ति की मिसाल पेश की।

3.इंदिरा गांधी ने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनकर राजनीति में अपनी अमिट छाप छोड़ी।

ऐसी ही कई महिलाओं ने यह साबित कर दिया कि अगर उन्हें सही अवसर मिले, तो वे किसी भी क्षेत्र में कमाल कर सकती हैं। इस महिला दिवस पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम महिलाओं के सम्मान, उनके अधिकारों और उनकी उन्नति के लिए हमेशा आवाज उठाएंगे।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 का थीम अभी घोषित नहीं हुआ है. हर साल यह एक विशेष विषय पर आधारित होता है, जो महिला सशक्तिकरण, समानता, और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए जागरूकता फैलाता है. पिछले सालों में “Choose to Challenge” और “Gender Equality for a Sustainable Tomorrow” जैसे महत्वपूर्ण थीम रहे हैं. इसकी घोषणा आमतौर पर साल के शुरुआत में की जाती है ।

महिला सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं, जैसे महिला शिक्षा को बढ़ावा देना, कार्यस्थल पर समान अवसर प्रदान करना और महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकना । सरकारी योजनाओं के तहत महिलाओं को रोजगार, स्वास्थ्य और वित्तीय सहायता देने के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं । इसके अलावा, महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनों में सुधार और उनका पालन सुनिश्चित किया जा रहा है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *